- Dalai Lama

kanha kamboj की दिल छू लेने वाली शायरी 

Anonymous

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पलकों ने बहुत समझाया मगर ये रात नहीं मानी, दिन तो हंस के गुजरा हमने मगर ये रात नहीं मानी.और बिस्तर की सलवट दे रही थी गवाही गैर की,हमने करवट  बदल ली मगर ये बात नहीं मानी.

जाने क्यों वो इतना मगरूर रहता है, किराये के घर में इक मजदूर रहता है. मुझे देखकर सहेली से पूंछा उसने ये पागल किस के गम में इतना चूर रहता है

- Anonymous

हम तेरे साथ जरूर खुलेंगे सब्र कर,इक रोज तुझे अकेले मिलेंगे सब्र कर.इजहारे इश्क में वक़्त लगता है,फिलहाल तो बस इतना कहेंगे सब्र कर r.”

“घर की दिवार पर नाखून से लिखेंगे, तेरी बेवफाई हम सुकून से लिखेंगे. ख़त स्याही से लिखे तो फाड़ देती हो, इस बार ख़त तुम्हे खून से लिखेंगे .”

"सुना है तेरी चाहत में मर गए लोग,यानी बहुत कुछ बड़ा कर गए लोग.सोंचा की देखे तुझे और देखकर सोंचा ये,तुझे सोंचते हुए क्या क्या कर गए लोग ."

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