- Dalai Lama
kanha kamboj की दिल छू लेने वाली शायरी
Anonymous
पलकों ने बहुत समझाया मगर ये रात नहीं मानी, दिन तो हंस के गुजरा हमने मगर ये रात नहीं मानी.और बिस्तर की सलवट दे रही थी गवाही गैर की,हमने करवट बदल ली मगर ये बात नहीं मानी.
जाने क्यों वो इतना मगरूर रहता है, किराये के घर में इक मजदूर रहता है. मुझे देखकर सहेली से पूंछा उसने ये पागल किस के गम में इतना चूर रहता है
- Anonymous
“हम तेरे साथ जरूर खुलेंगे सब्र कर,इक रोज तुझे अकेले मिलेंगे सब्र कर.इजहारे इश्क में वक़्त लगता है,फिलहाल तो बस इतना कहेंगे सब्र कर r.”
Bill Dates