उनकी सोहबत में गए दोबारा टूटे
हम एक सख्स को दे देके सहारा टूटे
ये अजब रश्म है बिल्कुल ना समझ आई हमें
प्यार भी हम ही करे दिल भी हमारा टूटे
की ये फैसला था खुद का
या साज़िस थी जमाने की
दूर हम तुम से उतना ही हो गए
जितना कोशिश की थी पास आने की
कभी तुम्हारी याद आती है
कभी तुम्हारे ख्वाब आते है
मुझे सताने के तुम्हे
तरीके बेहिसाब आते हैं
ख्यालो के ख्याल से
इक ख्याल आया
कि तुम्हे हक़ीक़त में नही
बस ख्यालों मे ही पाया
लाखों मिले तेरे इस सहर में
फिर भी इन आँखों को सुकून न आया
ऐसी भी क्या चाहत है मुझको
की बंद आँखों से बस तु ही नज़र आया
मैं खानदान की पाबंदियों से वाक़िफ़ हूँ
खुदा का शुक्र है उस सख्स ने वफा नही की
हजार बार उछाला है ज़िंदगी ने मुझे
बुरा जरूर मनाया है पर बद्दुआ नहीं की
तेरे गुरूर से बढ़कर मेरी अना है मुझे
तुम पूंछते हो मोहब्बत का जा नही की
सिर्फ एक लफ्ज मोहब्बत का निभाने के लिए
ज़िंदगी दांव पे राजी हूँ लगाने के लिए
रख दिया मैंने मेरा दिल भी तेरे कदमों में
क्या करूँ और बता तुझे मनाने के लिए
जिन्हेहमराह होना था अगर वहीं मुकलीफ हों
तो दामन हौंसले का भि हाथ से छुट जाता है
हजारो वार जो गैरों के सह सकता हो वो इंसान
किसी अपने की बस एक चोट से टूट जाता है
कभी फिर बाद में समझूँगा तुझको
अभी खुद को जरा पहचान लूँ में
मेरा साया तलक मेरा नही है
तू मेरा है ये कैसे मान लूँ में
किसी गली में किराए पर घर लिया उसने
फिर उस गली में घरों के किराए बढ्ने लगे
चाँद समझा था जिसे टूटता तारा निकला
एक मसीहा था वो जो कातिल हमारा निकला
और तुम जिसे पहन कर आए हो दिखने मुझको
क्या करोगे अगर वो हमारा उतारा निकला
की अब इश्क़ न होगा दोबारा ये आशिक अब सुधार गया
और किसको दें दोष अपने बर्बाद होने का
हमारा ग्वाह गवाही देने से मुकर गया