दाग दुनिया ने दिये जख्म जमाने से मिले, ये तोफे हमको तुम्हे दोस्त बनाने से मिले
हम जिसकी इज़्ज़त करते है, वो हमें मजबूर समझते हैं. हम जिससे प्यार करते हैं वो हमें बेवकूफ समझते हैं
हम किसी के लिए तब तक खास होते हैं, जब तक उसे कोई दूसरा नही मिल जाता
उस मोड पर खड़ी है ज़िंदगी जहाँ चाहत तो है मरने की, मगर मजबूरी है जीने की
जुल्म के सारे हुनर हम पे आजमाए गए, जुल्म भी सहा हमने जुल्मी भी कह लाये गए
कि में तबाह हूँ तेरे इश्क़ में, तुझे दूसरों का ख्याल है, कुछ मेरे मसलों पे भी थोड़ा गौर दे, मेरे तो ज़िंदगी का सवाल है
कोई शौक से नही रोता, आँसू भी तभी आते हैं जब दर्द बर्दास्त नही होता
हम फालतू लोग हैं जनाब अगर मर भी गये तो किसी को याद नही आयेंगे
तुम अक्सर रुला देते हो मुझे, मेरे दर्द से तुम्हे दर्द नही होता