पहाड़ों से इक आवाज़ आई थी ये कहानी दादी ने सुनाई थी

 पहाड़ों से इक आवाज़ आई थी ये कहानी दादी ने सुनाई थी एक परी रहती थी बादलों में एक लड़का गिना जाता था पागलों में कहता था बादलों से कोई आने वाला है जमीन पर उतार कर मेरी साँसों में सामने वाला है उसे बिना देखे ईझर करता हूँ कहता था की में उसे खुद…

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मुझे उससे मोहब्बत हुई में उसके करीब हो गया

मुझे उससे मोहब्बत हुई में उसके करीब हो  गया   उसे कोई और मिल गया फिर में उसके लिए गरीब हो गया  वादा है मेरी जान मोहब्बत दोबारा करेंगे नहीं गरीबी में पैदा जरूर हुए लेकिन गरीबी में मरेंगे नही 

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तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ

 तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ  तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ  तुम्हें में भूल जाऊंगा ये मुमकिन  है नही,लेकिन  तुम्ही को भूलना सबसे जरूरी है समझता हूँ 

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