नवाजिस इस ज़माने की दिल पहले जैसा मस्सों नहीं रहा
हाँ पत्थर तो नहीं बना लेकिन अब मोम भी नहीं रहा
और वफाओं के सिले कम ही मिले
ख़ुशी के बदले फकत गम ही मिले
और एक बात समझ नही आई आज तक
क्या सबको दिल दुखाने को हम ही मिले
बस दुआ है की वापस न मिले हम
न तुम हमें यहाँ मीलों न हम तुम्हे वहां मिलें
दिल में खलिश हो और हम मुश्कुराते रहे माफ़ कीजिये हमसे न हो पायेगा
दिल मिले न मिले हाथ मिलते रहे माफ़ कीजिये हमसे न हो पायेगा
खुदको मनवाने का हुनर हमकों आता है
हम वो कतरा है जिनके घर समुन्दर आता है
ज़िन्दगी कभी आसान नहीं होती, खुदको मजबूत बनाना पड़ता है
बेहतर समय सामने से नही आता, जिंदगी को बेहतरीन बनाना पड़ता है
हक़ में आये हार मंजूर है पर समझोता नहीं होगा
कोशिशों का कर्ज सिर्फ कामयाबी से अदा होगा
बुरे वक़्त जरा अदब से पेश आ ,
क्योंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में
उम्मीद में सरमाये के हम बंजर जमीं बोते रहे
दरारे थी आईने में हम खुद के अश्क देख कर रोते रहे
अब हैरानी नहीं होती किसी भी मंजर से हर्फ़
हादसे होते गए और हम देखते गए
गलतियों से जुदा तू भी नहीं में भी नहीं
हम दोनों इंसान ही है खुदा तू भी नहीं में भी नहीं
में तुझे तू मुझे इल्जाम तो देते है मगर
अपने अन्दर झांकता तू भी मरीं भी नहीं
गलत फहमियों ने दूरी तो पैदा तो कर दी है
वरना फितरत का बुरा तू भी नहीं में भी नहीं