शौक से जाओ जिसको जाना है, बहुत आयेंगे मतलब का जमाना है
चाल ऐसी चलेंगे सारी कहानी बदल देंगे तुम प्यादा पकड़ के रहना हम रानी बदल देंगे
अपने उपर ये जुल्म ये ढाना पड़ता है, दानिस्ता भी धोख़ा खाना पड़ता है. और कुछ साँपो से इतने गहरे रिश्ते हैं, उनसे खुद को खुद दस्वना पड़ता है
नशा था उसकी झूठी बातों में मुर्शद, वो वक़्त गुजरते रहे और हम आदि हो गए
तेरी हर हक़ीक़त से रूबरू हो गया हूँ में, ये पर्दा किस बात का कर रही है. एक में हूँ आँखों से आँसू नही रुक रहे, एक तू है जो हंस के बात कर रही है
की हमने भी करी थी कभी मोहब्बत आज खून हमारा उबलता है, कभी मना करते थे दोस्तों को मत पियो सराब आज महफ़िल में पहला पैक हमारा बनता है
नाराजगी दूर न हुई हजारो बार मनाने पर. न जाने कैसा महबूब है अड़ा है रुलाने पर