टूट कर एक आशिक शोरत से भी टूट गया
लगता है जो अब ठेला सड़को पर
पता चले तुम्हें इश्क़ की तड़प का एहसास हो
आंखो में कुछ आँसू और मेरे लौट आने की आस हो
वहीं आस जिसके सहारे मैंने इतना वक़्त गुजारा है
वहीं दर्द जिसने मेरे हर नज़्म को निखारा है
वहीं आंखे जो तुम्हारी याद में इतना रोई है
वहीं आवाज़ जिसने तुम्हें पल पल पुकारा है
तुम्ही भी रातों को छुप छुप के रोना होगा
तुम्हें भी भीगे हुए तकिये पे सोना होगा
तुम्हें भी करनी होगी बातें इश्क़ की बे फिकरी से
हो जाएगा फिर जो कुछ भी होना होगा
की रजा है मेरे दिल की सजा मिले
तुम्हें तुम्हारे हर गुनाह की वजह मिले
क़ज़ा मिले तुम्हें और ऐसी जगह मिले तुम्हें
नासमझ हो वहाँ हर कोई ऐसी तुम्हें फ़्ज़ा
क़तल हुआ होगा आशिको का कमर से मगर
हम तो बस देखकर मर जाएँ आंखो से
इतना भी आंखो में न बसाओ हमको
छलक कर न गिर जाएँ आंखो सेई
तेरे हिस्से में आई खुसिया तेरे हिस्से में गम नही आए
इन हाथों में बस लकीरे आईं इन लकीरून में तुम नही आए
जो छूटा मोहब्बत में हमारी वो हिसाब लिखना तुम
शादी के बाद जिंदगी का रुआब लिखना तुम
इस खत में लिखे सवाल जायज लगे तुम्हें
तो अपने सोहर से छुप कर इसका जवाब लिखना तुम
खैर अपनी शादी का बुलावा देना में आऊँगा जरूर
एक ही निवाला सही पर खाऊँगा जरूर
आखिर कब तक आँसुओ से पेट भर्ता रहूँगा
ऐसे कब तक तुझे याद करता रहूँगा
उस दिन सबके सर पर सहरे देखुंगा
पूरी रात रुक कर सातों फेरे देखुंगा में
वो साअत बचन जब लोगी तुम
वो ईश्वर की कसं जब लोगी तुम
तुम्हारी आंखो में शर्म देखनी हैं मुझे
उस आग की लपटे भी चीख उठे
अग्नि इतनी गरम देखनी हैं मुझे
उस दिन के बाद हर रात में नाचुंगा
जिस दिन तुम्हारी बारात में नाचुंगा
कोई पुछेगा रुखसाती के वक़्त आंखो में आँसू क्यू नही
में ख दूंगा मेरे महबूब की शादी में नाचू क्यूँ नही
कोई सिकवा न उसकी रुसवाई से करेंगे
जिस में गिरेंगे बार-बार मोहब्बत भी उसी खाई से करेंगे
और मेरे प्यार में कोई कमी रही होगी शायद
अगली दफा का इश्क़ और भी गहराई से करेंगे
कुछ इस तरह तुम्हारा जीना भी बेहाल होगा
तुम्हारे जहां में बस एक ही सवाल होगा
की मेरे बिना न जाने वो कैसे रहता होगा
क्या उसके भी आंखो से दरिया बहता होगा
की जब कोई पूंछता होगा की हम साथ नही
न जाने वो पागल सबसे क्या खता होगा
खैर इस तड़प का तुम्हें जल्द ही एहसास होगा
जब कोई मेरे बहुत करीब बहुत पास होगा
कैसा सिला तूने ए यार दिया
खंजर सीने में ही उतार दिया
मैंने तो बस कहा था लुटाऊँगा जान तुझ पर
तूने तो यार सच मुच ही मार दिया
बहुत सोंचा की अगर तू नही है किस्मत में मेरी
तो फिर कोन मेरी किस्मत में लिखी है
में फले से ही जनता था चाल ढग तेरा
फिर ए चीज तो तेरी फितरत में लिखी है
बड़े से समंदर में छोटी सी नाव भेजेगे
हम भी अपने बच्चों को छांव भेजेंगे
करेंगे मेहनत कमाएंगे पैसा और
एक दिन इतना पैसा होगा की सारा गाँव बैचेंगे
मनहूस ए चहरा हमारा नहीं देखना
सुनो पीएलटी कर अब दोबारा नहीं देखना
अब नही करना इतना रहम किसी पर
अब किसी सख्स में बाईचारा नही देखना