हजारों रात का जागा हूँ, सोना चाहता हूँ अब. तुझे मिलके में ये पलकें भिगोना चाहता हूँ अब.

 हजारों रात का जागा हूँ, सोना चाहता हूँ अब. तुझे मिलके में ये पलकें भिगोना चाहता हूँ अब. बहुत ढूँढा है तुझको खुद में इतना थक गया हूँ में. खुद को सौंप कर तुझको में खोना चाहता हूँ अब

Shubham Bharti

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम शुभम भारती है में पिछले 3 सालों से ब्लोगिंग का काम कर रहा हु में शायरी के प्रति रूचि है इसलिए में आप सबको भी शायरी व् quote से एंटरटेन करना चाहता हूँ

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