धोखा शायरी || अपनों से धोखा शायरी इन हिंदी || विश्वास पर धोखा शायरी

 जब अपने हुस्न पर वो सूट सलवार रखती है, सादगी में रहती है न कोई श्रृंगार रखती है. नशीली आँखे, गुलाबी होंठ, लहराते बाल, ये लड़की कत्ल के सारे औजार अपने साथ रखती है

ये माना कि वो मेरा यार नही है, ऐसा भी नही है कि प्यार नही है,. ऐसे कैसे उसे में दिल से निकालू, वो मालिक है इसका किरायेदार नही है

में चाहूँ तो भी तुम्हें पा नही सकता और ये बात किसी को समझा नही सकता, मेरा दिल भी इसी बात को सोंचकर रोता है, ऐसी क्या मोहब्बत जो जाता नही सकता

शहर बदलने से भी मेरा मुक़्क़द्दर् नही बदला, क्योंकि तेरे सीने में धड़कता पत्थर नही पिघला. न जाने कब तेरा काल आ जाए, इसी आस में आज तक हमने अपना नंबर नही बदला 

मेरी ही जैसी तेरी हालात हो जायेगी, जब तुझे किसी से सच्ची मोहब्बत हो जायेगी. मुझे बर्बाद करके चैन से सोने वाले सुन, मेरी मौत के बाद तुझे नींद से नफरत हो जायेगी

हमने एक मशवरा ये सोंचकर दिया, कुछ सोंचेगा जरूर ये सोंचकर दिया, मेरा दिल तो वैसे भी खिलौना है, उनका दिल बहल जायेगा ये सोंचकर दिया

पाँव के नीचे रखा जो वक़्त की रफ्तार को, जीत में एक दिन बदल दोगे फिर अपनी हार को, पर्दा गिरने पर भी तालियां बजती रहे, इतनी सिद्धत से निभाना चाहिए किरदार को

बुरे तो हम है जमाना अच्छा है, भूखे मरने से बेहतर कमाना अच्छा है. ज़िंदगी चलती है चलती ही जायेगी, क्या कहा थक गए चलो शमशान चले ठिकाना अच्छा है

अजीब सख्स था कैसा मिजाज रखता था, साथ रहकर भी वो इख़्तलाक रखता था. मोहब्बत तो थी उसे किसी और से शायद, हमसे तो यूहीं हंसी मजाक रखता था

किसी ने ख्वाब दिखाये थे ज़िंदगी के, किसी के साथ हमारा भी राबता हुआ था. और ये दुख हाल हमारे यूँ ही नही बिगड़े, हमारे साथ भी मोहब्बत का हादसा हुआ था 

 धोख़ा शायरी

सकल साफ नज़र आई जब आँखों से मोहब्बत की धूल गयी, वो खाया करती थी मेरी हर कसम फिजूल गयी. जो लड़की हाथ पर लिखकर घूमती थी मेहंदी से नाम मेरा, यकीन मानो वो लड़की मेरा नाम तक भूल गयी

सबको याद करने वाला अब याद हो गया, दर्द सहते सहते दिल आबाद हो गया. न जाने किस की बद्दुआ खा गयी मुझे, में 21 साल की उम्र में बरबाद हो गया

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