दगा देते हुए एक पल खुदा से डर गए होते
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वफ़ा अच्छा करम काश तुम भी कर गए होते
वो तो में हु मेरे यारा जो हसंता हूँ ज़माने में
मुझे बक्शी हुई तकलीफ में तुम मर गए होते
वो चाहती है रिश्ता मुझसे भी न टूटे बात उससे भी हो
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यानी सूरज भी न डूबे और रात भी हो
वो सिलसिले वो शौक वो निस्बत नही रहे
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वो दिल नही रहा वो तबियत नही रही
तुम खाली होगे तो बताओगे हाल अपना
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में भीड़ में भी सोचता रहता हूँ की कैसे हो तुम
कसर किसी ने नहीं छोड़ी बस तेरा कुरेदना बाकि है
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तेरे बाद मेरा बिखरा घर समेटना बाकी है
मीने सोंचा इससे ज्यादा बर्बाद में क्या ही हो जाऊंगा
फिर याद आया, अभी उसे किसी और के साथ देखना बाकि है
चिराग देख कर मेरे मचल रही है हवा
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कई दिनों बहुत तेज चल रही है हवा
बना रहे थे जो किस्से मेरी तबाही के
उन्हें खबर ही नहीं की रुख बदल राही है हवा
लम्हे लम्हे की की सियासत पे नजर रखते है
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हम से दीवाने भी दुनिया कि खबर रखते है
इतने नादाँ भी नहीं हम की भटक के रह जाय
कोई मनिल न सही राह गुजर रखते है
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है
हम जो जिन्दा है तो जीने का हुनर रखते है
जो पहुँच गए मंजिल पे उनको तो नहीं है नाजे सफ़र
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दो कदम अभी जो चले नहीं रफ़्तार की बातें करते है
कहाँ जाए कोई सहारा नही है,ज़माने में कोई हमारा नही है
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मोहब्बत की कसती बचे भी तो क्यूँ कर, है तूफ़ान ही तूफ़ान किनारा नही है
आंसू आ जाते है रोने से पहले,ख्वाब टूट जाते है सोने से पहले
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लोग कहते है की मोहब्बत एक गुनाह है
, काश कोई रोक लेता मुझे ये गुनाह होने से पहले

इश्क करने के भी आदाब हुआ करते है
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जागती आँखों के भी कुछ ख्वाब हुआ करते है
हर कोई रोके दिखा दे ये जरुरी तो नही
खुश आँखों में भी सैलाब हुआ करते है
कोई न मिले तो गिला नही करते, अक्सर लोग मिलकर भी मिला नही करते
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हर साख पर बहार आती है मगर,हर साख पर फूल खिला नही करते है
खोकर पाने का मजा ही कुछ और है
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रोकर मुश्कुराने का मजा ही कुछ और है
हार तो जिंदगी का एक हिस्सा है मेरे दोस्त
हार के बाद जीतने का मजा ही कुछ और है
जो बदल जाए वो यार कैसा,जो छो जाए वो साथ कैसा
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लोग कहते है युझे प्यार फिर से हो जायेगा,
पर जो फिर से हो जाए वो प्यार कैसा
तेरे आलावा में अगर किसी और से इतनी मोहब्बत करता
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तो यकीन मान वो सख्स मेरी इबादत करता
कितनी मुश्किल से तेरा घर बनाया था इस दिल में
ये फर्ज तेरा था की तू इसकी इफजत करता
मोहब्बत के सफ़र में हमसफ़र भी छोट जाते है
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जिन्हें आँखे सजाती है वे अपने टूट जाते है
मेरे खुदा कोई इतना न प्यार को तरसे
जुदा न कर किसी दिलबर को किसी दिलबर से