दिल ए नादान खामोश न रह, तेरा भी हक़ होगा

इश्क कोन भूल पाया है,उसे भी याद बेशक होगा

इससे पहले की बेवफा हो जाए, क्यों न ये दोस्त हम जुदा हो जाए

तू भी हीरे से बन गया पत्थर, हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाए

ये अलग बात है की मुझे छोड़ दिया उसने

ये अलग दुःख है की उसने देखा नहीं रोना उसने

याद नहीं शर्म तो आती होगी

झूठी ही सही कसम तो खाती होगी

की एक झलक देखा उसे अपना बना लिया था

प्यार क्या करते उसने मुह छुपा लिया था

लगे कई साल लगे मनाने में उसे

तब तक हमने भी कहीं और घर बसा लिया था

जरा सी जिंदगी है अरमान बहुत है

हमदर्द नहीं कोई इंसान बहुत है

दिल का दर्द सुनाये तो सुनाये किसे

दिल के जो करीब है अनजान बहुत है

आँखों की चमक पलकों की शान हो तुम

चेहरे की कहंसी लम्हों की मुस्कान हो तुम

धडकता है दिल तुम्हारी आरज़ू में

फिर कैसे न कहूँ की मेरी जान हो तुम

ऐसे देखा करता में उसकी झील सी आँखे जैसे कोई देख रहा हो कोई पहली बार समुन्दर

एक अजीब सी बेताबी रहती है तुम्हारे बिना हम रह भी ली हैं और रहा भी नहीं जाता

न सुकून से दिन गुजरा न चैन से रात हुई,में खुद से बिछड़ गया जब उस सख्स से मुलाकात हुई

गुजरी हुई जिंदगी को कभी याद न कर तकदीर में नहीं फ़रियाद न कर

जो होना है वो होकर भी रहेगा तू कल की फ़िक्र में आज की हसीं बर्बाद न कर

कितनी गौर से देखा होगा मेरी नजरों ने की तेरे बाद कोई चेहरा खूबसूरत नही लगा

अगर तलाश करू कोई मिल जाएगा मगर तुम्हारी तरह मुझको चाहेगा

तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं, कैसे मिलता कहीं पे था ही नहीं

तू जहाँ तक दिखाई देता है उससे आगे में देखता ही नही

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