हम अपनों से परखे गए हैं कुछ गैरों की तरह,हर कोई बदलता ही गया हमें शहरों की तरह..
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Gulzar shayari in hindi |
तुम्हे जो याद करता हुँ, मै दुनिया भूल जाता हूँ ।तेरी चाहत में अक्सर, सभँलना भूल जाता हूँ
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं,वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं!
मुद्दतें लगी बुनने में ख्वाब का स्वेटर,तैयार हुआ तो मौसम बदल चूका था!
तुम लौट कर आने की तकलीफ़ मत करना,हम एक ही मोहब्बत दो बार नहीं किया करते
हाथ छुटे तो भी रिश्ते नहीं छोड़ा करते,वक़्त की शाख से रिश्ते नहीं तोड़ा करते!
उनके दीदार के लिए दिल तड़पता है,उनके इंतजार में दिल तरसता है,क्या कहें इस कम्बख्त दिल को..अपना हो कर किसी हैं और के लिए धड़कता है।
बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।
महफ़िल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,यह दुनिया की रस्म है, इसे मुहोब्बत मत समझ लेना
ख़ामोश रहने में दम घुटता है और बोलने से ज़बान छिलती है
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता,कोई एहसास तो दरिया की अना का होता
खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं हवा चले न चले दिन पलटते रहते है
जब भी ये दिल उदास होता है,जाने कोन दिल के पास होता है!