100+कान्हा कम्बोज शायरी कलेक्शन || 100+kanha kamboj shayari

 बड़ी मस्सक्त के बाद भी निकले नही जा रहे, जहाँ से तेरी याद के जले नही जा रहे. एक तू है संभाल रही है नये नये आशिक ,इक हम है जो खुद से संभाले नही जा रहे मैं इ ऐसे सख्स पे थोक दिया मोहब्बत का दावा जिससे अपने दोस्त भी टाले नही जा रहे|

वो कहने को तो मेरा कुछ नही लगता था लेकिन,बिछड़कर उससे मेरा दिल बहुत घबरा रहा था.मुझे उस सख्स से इतनी मोहब्बत हो गयी थी की अब में उसकी सारी आदते अपना रहा था 

सुना है तेरी चाहत में मर गए लोग,यानी बहुत कुछ बड़ा कर गए लोग.सोंचा की देखे तुझे और देखकर सोंचा ये,तुझे सोंचते हुए क्या क्या कर गए लोग 

सब कुछ बताया जाए तो अच्छा रहेगा अब कुछ न छुपाया जाए तो अच्छा रहेगा. अदालत सजी तेरे मोहल्ले में तो कोई गिला नही, गवाह मेरे मोहल्ले से बुलाया जाए तो अच्छा रहेगा 

हमें अपने शहर ने भी न रखा औरों के शहर में वो जिंदाबाद थे  

और मुझे झुकना पड़ता हिया उसकी गलती के आगे, गुनाह इतना चालाकी से करती गुनाहगार नही लगती 

बात मुझे मत बता क्या बात रही है, रह उसके साथ जिसके साथ रात रही है. जरा भी न हिचकिचाई होते हुए बेआबरू बता तेरे जिस्म से और कितनो की मुलाकात हुई है  

जनता हूँ है ये हकीक़त पर, भरोसा करना मुश्किल है पर हकीक़त पर.चल न रख हमसे कोई वास्ता यार . तू सुन ले तो इक बार हकीक़त पर 

है बस वहीं जिम्मेअर इस हालत का,चलो अब तो कर रहे है कारोबार इस हालत का.गले लगकर कहा कभी उसने देखना तुम्हे रहेगा मलाल इस हालत का 

ऐसे खेल के दांव आते है सामने कर के जब एबो आब आते हैं सामने.आपका आप से चुराना है चैन, देखो कितने नकाब आते है सामने 

तेरे इश्क में हूँ बेबस इतना में जवान बेटे पर बाप का हाथ जैसे नही चलता, और मुझे खिलौना समझती हो तो ऐ बात सुन लो .अब ऐ खिलौना पहले जैसे नहीं चलता 

तेरा कुछ अश्क बाकि रह गया मुझ में, वर्ना कब किसी की इतनी कही बरदास रही है.गलती मेरी ये रही तुझे सर पे बैठा लिया,वर्ना क़दमों लायक कहाँ तेरी औकात रही है 

मेरे ग़मों में मेरी हिस्सेदार नहीं लगती,ये लड़की मेरी कहानी का किरदार नहीं लगती.उसकी फ़िक्र करू तो हुकूमत बताती है,यार ये लड़की मुझे समझदार नहीं लगती 

पलकों ने बहुत समझाया मगर ये रात नहीं मानी, दिन तो हंस के गुजरा हमने मगर ये रात नहीं मानी.और बिस्तर की सलवट दे रही थी गवाही गैर की,हमने करवट  बदल ली मगर ये बात नहीं मानी 

सुना तुम्हारे चाहने वाले बहुत है ये इश्क की मिठाई सब में बाट दी तुमने, और सचमुच बहुत पक्की डोर है तेरी बेवफाई में सुना है  रकीब की पतंग काट दी तुमने 

ये डरता था सर्द  रातों से में और उस चाँद से इश्क का चढ़ अब खुमार रहा था.इक रोज वो लिपटकर सोयी थी गैर से,उस सर्द रात मुझे बहुत तेज बुखार रहा था,और मालूम न थी बेवफाई खुद के महबूब की, और में शहर के हर घर में बाँट अखबार रहा था 

की वो किसी और को मेरे बारे में बता रही होगी, किसी और के मन में मेरे लिए नफरत जगा रही होगी.मुझे बदनाम करने की कोशिसे वो तमाम कर रही होगी,कई झूठे वो मुझ पर इल्जाम कर रही होगी

कैसे कैसो को हमराज करती हैं,अपने लोगों को नाराज करती है. तेरे बाद हमने जाना ये, घडी टिक टिक की आवाज़ करती है.में उसकी दवाओं से ऐसा हुआ हूँ कान्हा,तुम तो कहते थे की वो लड़की इलाज करती है 

जो कभी जहाँ में तस्लीम था, वो नजरो तक से गिर गया है. वो बता रहा है  हद में रहो जो अपनी हद से गुजर गया है 

अपनी हकीक़त में किये कहानी करनी पड़ी,उसके जैसी मुझे अपनी जुबानी करनी पड़ी. कर तो सकता बातें इधर उधर की बहुत, मगर कुछ लोगों में मुझे बातें खानदानी कार्न्करनी पड़ी 

जाने क्यों वो इतना मगरूर रहता है, किराये के घर में इक मजदूर रहता है. मुझे देखकर सहेली से पूंछा उसने ये पागल किस के गम में इतना चूर रहता है 

हम तेरे साथ जरूर खुलेंगे सब्र कर,इक रोज तुझे अकेले मिलेंगे सब्र कर.इजहारे इश्क में वक़्त लगता है,फिलहाल तो बस इतना कहेंगे सब्र कर 

घर की दिवार पर नाखून से लिखेंगे, तेरी बेवफाई हम सुकून से लिखेंगे. ख़त स्याही से लिखे तो फाड़ देती हो, इस बार ख़त तुम्हे खून से लिखेंगे 

  

 

Shubham Bharti

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम शुभम भारती है में पिछले 3 सालों से ब्लोगिंग का काम कर रहा हु में शायरी के प्रति रूचि है इसलिए में आप सबको भी शायरी व् quote से एंटरटेन करना चाहता हूँ

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