तू अपने चिट्ठियों में मेरे के आशार लिखती है
मोहब्बत के बिना है जिंदगी बेकार लिखती है
तेरे ख़त तो इबारत है वफादारी की कसमों के
जिसे में पढने से डरता हु वही हर बार लिखती है
तू पैरों कार लैला की है श्री की पुजारन है
मगर तू जिस पे बैठी है वो सोने का सिंघासन है
तेरे पलकों के ये मस्कारे तेरे होठों की ये लाली
ये तेरे रेशमी कपडे ये तेरे कान की बाली
गले का ये चमकता हार हाथों के तेरे ये कंगन
ये सब के सब मेरे दिल मी एहसास के दुश्मन
इनके सामने कुछ भी नहीं प्यार की कीमत
वफ़ा का मोल क्या क्या है ऐतबार की कीमत
सकश्ता कश्ती और टूटी पात्वार की कीमत
है मेरी जीत से बढ़कर तो तेरी हार की कीमत
हकीकत खून के आंशु तुझे रुल्वाएगी जाना
तू अपने फैसले पर बाद में पछताएगी जाना
मेरे काँधे पे छोटे भाइयों की जिम्मेदारी है
मेरे माँ बाप तो बूढ़े है बहन भी कुंवारी है
बहेवा मौसमों के वार को तू सह न पाएगी
हवेली छोड़कर एक झोपड़े में रह न पायेगी
अमीरी तेरी मेरी मुफलिसी को छल नहीं सकती
तू नंगे पाँव कालीन पर भी चल नहीं सकती