न तेरा हमसे जी भरता ,न ये फास्ले होते. कभी कभी तो सोचता हूँ काश हम तुमसे मिले न होते
है आज तेरी हुकूमत तो डर गया हूँ मैं, ये तेरा बहम है इसका इलाज कुछ भी नहीं. तू बादशाह अगर है तो में कलंदर हूँ, मेरी नज़र में तेरे तख्तोताज कुछ भी नहीं
जो ये मंदी का जमाना है गुजर जाने दे, फिर पता चलेगा तुझे मेरी कीमत क्या है