जॉन-ए-लिया बेस्ट शायरी कलेक्शन

सारे रिश्ते तबाह कर आया, दिल-ए-बर्बाद अपने घर आया

में रहा उम्र भर जुदा खुद से, बाद में खुद को उम्र भर आया

आंशू निकल आये तो खुद ही पोंछना,लोग पोंछने आयेंगे तो सौदा करेंगे

सोंचू तो सारी उम्र मोहब्बत में कट गयी, देखूं तो एक भी सख्स मेरा न हुआ

कौन कहता है की उम्र भर निबाह कीजिये,बस आइये बैठिये तबाह कीजिये फना कीजिये

एक हुनर है जो कर गया हूँ में सबके नज़र से उतर गया हूँ में

क्या बताऊँ की मर भी नही पाता, जीते जी जब से मर गया हूँ में

हम जी रहे है कोई बहाना किये बगैर

उसके बगैर, उसकी तमन्ना किये बगैर

चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,​
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश​,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।

और तो हमने क्य किया लेकिन ये किया है की दिन गुजरे है

उस गली से होकर आये हो अब तो वो राह रो में प्यारे है

जान हम ज़िन्दगी की राहों में अपनी तनहा रवि के मारे है

तुम हकीक़त नहीं हो हसरत हो, जो मिले ख्वाब में वो दौलत हो

किस तरह तुम्हे छोड़ दूँ जाना, तुम मेरी जिंदगी की आदत हो

मर चूका है दिल मगर जिन्दा हूँ में,जहर जैसी कुछ दवाएं चाहिए

पूंछते है आप आप अछे तो हैं, जी में अच्छा हूँ दुवांये चाहिए

कोई ख्वाब मुकम्मल नहीं हुआ में इसके बावजूद भी पागल नहीं हुआ

जारी है हादसों का सफ़र इस तरह की बस एक हादसा जो आज हुआ कल नही हुआ

जिससे भी पूंछे तेरे बारे में यहीं कहता है

खूबसूरत है वफादार नहीं हो सकता

इसलिए जा रहा हूँ कोने में, आँखे शामिल नहीं रोने में

मैंने उसको बचा लिया वर्ना, डूब जाता मुझे डूबोने में

हो रहा हूँ कैसे में बर्बाद देखने वाले हाथ मलते है

तुम बनो रंग तुम बनो खुशबू हम तो अपने सुखन में ढलते है

कोई शहर था जिसकी एक गली मेरी हर आहट पहचानती थी

मेरे नाम का एक दरवाज़ा था एक खिड़की मुझको जानती थी

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