चाँद तारे बुझ गये सूरज सवाली हो गया

ये सभी शायरी मैंने इमरान पर्तापगढ़ी जो इस समय कांग्रेस के अछे नेता है उनके मुखार बिंदु से मैंने सुना है और ये सभी शायरी इस समय इन्स्ताग्राम जैसे सोशल प्लेटफार्म पर तेजी से वायरल हो रही है

चाँद तारे बुझ गये सूरज सवाली हो गया

एक तेरे जाने से सारा शहर खाली हो गया

चाँद तारे बुझ गये सूरज सवाली हो गया

हम तो वो तारीख हैं जह्नो में रहना है जिसे

कागजी पुर्जे नही जो फाड़ डाले जायेंगे

जिस जमीन पे में खड़ा हूँ ये मेरी पहचान है

आप आंधी है तो क्या मुझे उड़ा ले जायेंगे

ये वक़्त ज्यादा दिन सख्त रहेगा नहीं

ये तख़्त ज्यादा दिन तेरे सर चढ़ेगा नही

तेरे अपने लगायेंगे तोहमते तुझपे वादा कर

तू चुप रहेगा लडेगा नही

जो थक गया चलते हुए और खुद से जो नाराज है

जिसको गिला है खुद से कि वो नही कुछ ख़ास है

जिसको दिखावे कि दुनिया में एक दोस्त बढ़िया चाहिए

और जिंदगी को देखने का एक नजरिया चाहिए

वफादारी पे दे दी जान गद्दारी नहीं आई

हमारे खून में अब तक ये बीमारी नही आई

खुदा का शुक्र सोबत का असर नही होता हम पर

अदाकारों में भी रहकर अदाकारी नही

क्या गुरूर करना अपनी अच्छाई पर किसी के कहने में हम भी गलत है

न दिया हुआ दान याद रखिये

न मिला हुआ सम्मान याद रखिये

सब कूछ भुला दीजिये लेकिन

अपना अपमान याद रखये

फिर नही बसते वो दिल जो उजाड़ जाते है ग़ालिब

कब्र को कितना भी सजाओ कोई लौटकर नही आता है

मिल सके आसानी से उसकी ख्वाहिश किसे है

जिद हमेशा उसकी रही जो मुकद्दर में लिखा ही नही था

आइना क्या देगा तुम्हे तुम्हारी सख्सियत कि खबर

कभी मेरी आँखों से देखो कितने लाजवाब हो तुम

एक कतरा ही सही बस इतनी सिफत दे मालिक

कि प्यासा जो देखू तो दरिया हो जाऊं

जरा संभल कर करिए गैरों से हमारी बुराई

आप जिन्हें जाकर बताते है वो हमें आकर बताते है

की मुक़द्दर कि लिखावट का कुछ ऐसा कायदा हो

देर से किस्मत खुलने वालों का दुगना फायदा हो

कितनो साँचो में ढल के आये है, ख्वाब कि तरह पल के आये है

तुम सिफारिस से जहाँ पहुंचे हो, हम वह खुद चल कर आये है

हम करे बात दलीलों से तो रद्द होती है,

उनके होंठो कि ख़ामोशी भी सनद होती है

कुछ न कहने से भी छीन जाता है एजाजे सुखन,

जुल्म सहने से भी जालिम कि मदद होती है

आये है और शान से आये हुए हम

मिटटी में आश्मान से आये हुए हम

सीना महक रहा है तो हैरत है किस लिए

फूलों के खानदान से आये हुए हम

कोई मौसम हो सुख दुःख में गुजरा कोन करता

परिंदों कि तरह सब कुछ गवारा कोन करता है

घरों कि राख फिर देखेंगे पहले ये देखना है

घरों को फूंक देने का इशारा कोन करता है

ग़मों कि आंच में मुश्कुराना चलना पड़ता है

ये दुनिया यहाँ चेहरा सजा कर चलना पड़ता है

तुम्हारा कद मेरे कद से बहुत बड़ा सही

चढ़ाई पे कमर सबको झुका कर चलना पड़ता है

क्या समेटे क्या सहेजे हर प्यारी चीज खो चुकी है

जिन जिन बातों का डर था वो सारी बातें हो चुकी हैं

मेरी तन्हाई मुझे गिला नही क्या हुआ वो मुझे मिला नही

फिर भी दुआ करेंगे उसके वास्ते उसे वो सब कुछ मिले जो मुझे मिला नही

सब किताबे है गलत सारे अदब झूठे है

और एक झूठे को ये लगता है कि सब झूठे है

हमसे मोहब्बत करने वाले रोते ही रह जायेंगे

हम जो किसी दिन सोये तो फिर सोते ही रह जायेंगे

कभी ख़ुशी से ख़ुशी कि तरफ नही देखा

तुम्हारे बाद किसी कि तरफ नही देखा

ये सोंचकर कि तेरा इंतज़ार लाजिम है

मैंने तमाम उम्र घडी कि तरफ नही देखा

हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आये

जब सूखने लगे तो जलने के काम आये

तलवार कि नें कभी फेंकना नही

मुमकिन है दुश्मनों के डराने के काम आये

कच्चा समझ के बेंच न देना मकान को

शायद कभी सर छुपाने के काम आये

वो अगर अच्छा लगे तो उसका इरादा सोंच मत

जी ले रिश्ता और रिश्ते क नातिजा सोंच मत

एक दिन तो डूबना ही है हम सबको

डूबने कि खौफ से बचना संभालना सोंच मत

किसी कि खुशियों के खातिर अपने शौक मार रहे है हम

जीत तो झोली में पड़ी है जानबूझकर हार रहे है हम

Shubham Bharti

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम शुभम भारती है में पिछले 3 सालों से ब्लोगिंग का काम कर रहा हु में शायरी के प्रति रूचि है इसलिए में आप सबको भी शायरी व् quote से एंटरटेन करना चाहता हूँ

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