इक बाज़ार लगा मोहब्बत का

इक बाज़ार लगा मोहब्बत का 

सोदे बाज़ी जोरों की हुई 

किसी को मिला खरीद दार अच्छा 

अपनी यारी चोरों से हुई 

हमको हुमिन से चुराया उसने 

अपना करी खास बातया उसने 

लकीरे इन हाथों से फिसल गयी 

 वक़्त बदला तो वो भी बादल गयी 

जिस दिन बिछड़े मर जाऊँगी कहा करती थी 

नफरत ही नहीं हमारा गुस्सा भी सहा करती थी 

 

Shubham Bharti

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम शुभम भारती है में पिछले 3 सालों से ब्लोगिंग का काम कर रहा हु में शायरी के प्रति रूचि है इसलिए में आप सबको भी शायरी व् quote से एंटरटेन करना चाहता हूँ

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